श्री मल्हु जी बाबा बजरंगबली के भक्त के द्वारा निकले हुए उनके मुखरबीनोदो से अमृत बनी जानिए किया इन्होंने बताए जो भी वेक्ति जिस भाव भगवान की याचना बिनती करता है भगवान उसे उसी रूप में उसकी सहायता करते और उन्हें उसी रूप में दर्शन देते हैं चाहे वेक्ति वह किसी भी देवता या देवी को परमात्मा रूप में या गुरु रूप में या उन्हें सबकुछ में परमात्मा का निवास दिखे तो इसमें कोई बात नही है वह वेक्ति किसी एक देवता या फिर अनेकों देवताओं को भी स्तुति कर सकते हैं इसमें कोई बंधन नहीं है जैसे
मैं बाबा बजरंगबली को अपना ईस्ट देवता मानता हूं ठीक उसी प्रकार आप भी किसी देवता या देवी को अपना ईस्ट देव मन सकते हैं इसके लिए कोई बंधन नहीं है।
और इसमें एक खास बात यह भी बताया जा रहा है की अगर अपना देश का संविधान देखा जाय तो इसमें भी यही बरना मिलता है की हमारे देश में धर्म निरपेक्ष धर्म माना गया है इसका अर्थ है की कोई भी वेक्त्ती किसी भी धर्म को अपना सकता है
आगे हमारे शस्त्र में ही बताया गया है की रामायण के प्रसिद्ध रचनाकार प्रखंड विद्वान श्री बाल्मिकी जी ही का अगर हम सब उदाहरण लें तो हमे गियात होगा की इन्होंने राम का नाम सीधा जपने के बजाया अगियांता राम न कहकर मरा मरा जपा था और जब ईश्वर किर्पा से एक बार सीधा राम नाम जपने लगा तो हमेशा राम नाम राम,राम,राम ही राम रटने लगी इसलिए हे भाई बंधु इसमें कोई बंधन नहीं आप से जैसे हो वैसे भक्ति करें एक आप जरूर रास्ता धर लेंगे जय श्री राम जय जय राम